तहलका टुडे टीम/सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव
बाराबंकी। कोतवाली देवा क्षेत्र के ग्राम पलटा में शनिवार रात एक होटल में संदिग्ध हालात में लगी आग ने पूरे गांव में सनसनी फैला दी। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है मामला?
ग्राम पलटा निवासी जयकरन मिश्रा, जो गांव के किनारे चाय का होटल चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते हैं, ने आरोप लगाया कि उनके पड़ोसी और पटीदार दयाशंकर मिश्रा, जो मांसाहारी भोजन का होटल चलाते हैं, उनसे रंजिश रखते हैं। जयकरन के मुताबिक, पीपल के पेड़ के नीचे नल पर मांस धोने की वजह से दोनों के बीच पहले से विवाद था। जयकरन का कहना है कि वे इस पेड़ की पूजा करते हैं और भंडारे का आयोजन भी करते हैं।
शनिवार रात दयाशंकर के होटल में आग लग गई। आरोप है कि दयाशंकर और उनके बेटों ने जयकरन और उनके बेटों पर आग लगाने का आरोप लगाते हुए हमला किया। जयकरन ने दावा किया कि घटना के समय वे अपने होटल में सो रहे थे, और आग की जानकारी एक दूधवाले ने दी।
पुलिस पर आरोप
दयाशंकर मिश्रा की तहरीर पर देवा पुलिस ने बिना जांच-पड़ताल के आनन-फानन में जयकरन और उनके तीन बेटों के खिलाफ आगजनी का मुकदमा दर्ज कर लिया। जयकरन के बेटे मुकेश मिश्रा, जो एक पत्रकार हैं, घटना के वक्त बाराबंकी में एक शादी समारोह में मौजूद थे। बावजूद इसके, पुलिस ने उन्हें भी नामजद कर लिया।
दूसरी तरफ, जयकरन ने दयाशंकर और उनके बेटों पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगाते हुए अपनी तहरीर दी। पुलिस ने दोनों पक्षों के पांच लोगों को गिरफ्तार कर धारा 151 के तहत नवाबगंज तहसील भेज दिया।
ग्राम प्रधान पर आरोप
जयकरन का आरोप है कि यह घटना एक साजिश का हिस्सा है, जिसकी जड़ें ग्राम प्रधान तक जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रधान के इशारे पर यह सारा षड्यंत्र रचा गया ताकि उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाया जा सके।
पत्रकार संगठनों की प्रतिक्रिया
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संतोष शुक्ला ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि पत्रकार मुकेश मिश्रा को फर्जी मुकदमे में फंसाना पुलिस की लापरवाही और पक्षपात को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि बिना जांच के मुकदमा दर्ज करना गंभीर सवाल खड़े करता है। 9 दिसंबर को एसपी दिनेश कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपकर इंसाफ की मांग की जाएगी।
जांच से खुलेगा सच
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। जयकरन और उनके परिवार ने एसपी से निष्पक्ष जांच की अपील की है। यदि उच्चस्तरीय जांच हो, तो घटना की सच्चाई और षड्यंत्र की परतें खुल सकती हैं।
अब सवाल यह उठता है: क्या जयकरन और उनके परिवार को इंसाफ मिलेगा? या पुलिस की लापरवाही के कारण निर्दोषों को साजिश का शिकार होना पड़ेगा?