“पार्लियामेंट और यूपी विधान सभा में घमासान,नेता लड़ते रहे, आतंकवाद के संस्थापक अमेरिका-इज़राइल साजिशें रचते रहे: दुनिया में शांति के रहनुमा भारत-ईरान साझेदारी पर साधा गया निशाना”

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सैयद रिज़वान मुस्तफा
9452000001srm@gmail.com

नई दिल्ली:जब भारत की संसद और विधानसभाओं में नेता आपस में उलझे हुए थे, उसी समय आतंकवाद के संस्थापक अमेरिका और इज़राइल अपनी कूटनीतिक साजिशों को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे थे। अमेरिकी रणनीति का एक और उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब उसने दुनिया में शांति के रहनुमा देश भारत और ईरान के बीच बढ़ते व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों पर प्रहार किया।

अमेरिका की चाल: भड़काओ, लड़ाओ और राज करो

अमेरिका की नीतियां हमेशा से विवाद पैदा करने और अपने प्रभुत्व को बनाए रखने के इर्द-गिर्द घूमती रही हैं। “भड़काओ, लड़ाओ और राज करो” का यह मिशन, दुनिया भर में संघर्ष पैदा करके अपनी शक्ति बढ़ाने की एक पुरानी रणनीति है। इस बार निशाने पर है भारत और ईरान की साझेदारी।

ईरान के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई

अमेरिका ने हाल ही में भारत स्थित “अटलांटिक नेविगेशन ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड” पर प्रतिबंध लगा दिया। यह कंपनी ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन में शामिल थी। अमेरिका का आरोप है कि ईरान का तेल कारोबार संदिग्ध आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही अमेरिका ने ईरान की चार अन्य कंपनियों और छह जहाजों को प्रतिबंधित संपत्तियों की सूची में डाल दिया।

भारत में आपसी संघर्ष और अमेरिका की कूटनीति

जहां भारतीय नेता संसद और विधानसभाओं में अपनी राजनीति के मुद्दों पर लड़ाई लड़ रहे थे, वहीं अमेरिका ने एक बार फिर भारत की कूटनीतिक स्वतंत्रता को चुनौती देने का प्रयास किया। अमेरिका ने अपने आर्थिक और राजनीतिक दबाव से यह संदेश दिया कि यदि भारत स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय नीतियां अपनाएगा, तो उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

भारत का आत्मनिर्भर रुख

अमेरिकी दबाव के बावजूद, भारत ने अपनी कूटनीतिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है। भारत का नेतृत्व स्पष्ट कर चुका है कि वह किसी भी विदेशी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। ईरान के साथ मजबूत रिश्ते बनाना भारत के वैश्विक हितों का हिस्सा है, जिसे वह हर कीमत पर बनाए रखेगा।

दुनिया के लिए भारत का संदेश

भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह अमेरिका और इज़राइल की साजिशों को कामयाब नहीं होने देगा। यह केवल भारत और ईरान के रिश्तों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में स्वतंत्रता और संप्रभुता का भी सवाल है। भारत अपनी नीति और अपने फैसलों पर दृढ़ रहेगा, चाहे अमेरिका और इज़राइल कितनी भी बाधाएं क्यों न खड़ी करें।

नेताओं को सबक: आंतरिक संघर्ष छोड़, बाहरी साजिशों पर ध्यान दें

भारतीय नेताओं के लिए यह समय है कि वे संसद और विधानसभाओं में आपसी संघर्ष छोड़कर उन विदेशी साजिशों पर ध्यान दें, जो देश की स्वतंत्रता और विकास के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।

भारत का यह संदेश स्पष्ट है: बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ हमारी आवाज दबाई नहीं जा सकती।

आपको ये भी बता दे चुनाव के दरमियान मोदी सरकार के खिलाफ अमेरिका और इजराइल साजिश रच चुके है,जिसका खुलासा हो चुका है।

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