देश की तकदीर और बुलंदी की नक्काशी करती इंटीग्रल यूनिवर्सिटी,साइंस और इंजीनियरिंग इनोवेशन्स पर 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच सहयोग को किया मज़बूत

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तहलका टुडे टीम/तकी हसनैन

22 फरवरी  लखनऊ: इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के बायोइंजीनियरिंग विभाग, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड आईटी, और इंटीग्रल स्टार्टअप फाउंडेशन ने AFSTI, लखनऊ चैप्टर और भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से पहला उद्योग-अकादमिक मीट और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “विज्ञान और अभियांत्रिकी में प्रवृत्तियाँ एवं नवाचार: उद्योग-अकादमिक संबंधों को सुदृढ़ करना” का आयोजन किया।

यह सम्मेलन कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटीों तथा शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से आयोजित किया गया। साथ ही, कई सरकारी संगठनों ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), DBT-BIRAC, DST-SERB, DST-IUSSTF, यूपी-CST, ICAR-CISH, CSIR-NBRI, CIMAP, CDRI, IITR, CFTRI, क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान और विश्लेषण केंद्र (RFRAC), StartinUP और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) शामिल हैं।

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (20-22 फरवरी 2025) TISE CON 2025 के समापन समारोह के दौरान यूनिवर्सिटी के माननीय प्रो-चांसलर एवं मुख्य संरक्षक डॉ. सैयद नदीम अख्तर ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में उद्योग और शिक्षा जगत के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने पर बल दिया। बायोइंजीनियरिंग विभाग की प्रमुख एवं आयोजन समिति की अध्यक्ष प्रो. अल्वीना फारूकी ने धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए कहा कि “यह सम्मेलन केवल वैज्ञानिक चर्चाओं का मंच नहीं था, बल्कि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति एवं संस्थापक प्रोफेसर सैयद वसीम अख्तर के दूरदर्शी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम था। प्रोफेसर अख़्तर ने हमेशा छात्रों के समग्र विकास के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा और कौशल पर ज़ोर दिया है”।

सम्मेलन के दौरान देश-विदेश के विशेषज्ञों ने भारत के अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के भविष्य को आकार देने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। प्रमुख विषयों में “विकसित भारत@2047” के लिए कुशल कार्यबल निर्माण, जीवन विज्ञान स्टार्टअप को बढ़ावा देना, अकादमिक अनुसंधान को उद्योग तक पहुँचाने की प्रक्रिया, विज्ञान और अभियांत्रिकी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन का प्रभाव, हरित एवं नीली जैव प्रौद्योगिकी, एपिजेनेटिक हस्ताक्षर और इम्यूनोथैरेपी, मशरूम के चिकित्सीय प्रभाव, खाद्य विज्ञान में नवाचार और गोल्डन बायोटेक्नोलॉजी का सामरिक समावेश शामिल रहे। साथ ही, अनुसंधान को आगे बढ़ाने में बौद्धिक संपदा (IPR) की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।

सम्मेलन में शामिल प्रमुख विशेषज्ञों में प्रो. सैयद वसीम अख्तर (संस्थापक एवं कुलाधिपति, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी), प्रोफेसर जावेद मुसर्रत (कुलपति, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी), पद्मश्री प्रो. जी.डी. यादव (पूर्व कुलपति, ICT मुंबई), प्रो. आनंद कुमार सिंह (कुलपति, चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी, कानपुर), प्रो. सुनील के. खरे (कुलपति, NSCBIHL केंद्रीय यूनिवर्सिटी, अंडमान-निकोबार एवं निदेशक, IISER कोलकाता), प्रो. फुरकान क़मर (मुख्य सलाहकार, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी), डॉ. अमजद हुसैन (कैंसर अनुसंधान संस्थान, देहरादून), डॉ. ज़ेबो बाबाखानोवा (ताशकंद रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, उज्बेकिस्तान), CA ऋषभ कुमार सावनसुखा (CEO, Fruz India Private Limited), डॉ. निलेश लेले (Partner RampUp, Advisory LLP, अध्यक्ष, CASMB), डॉ. पार्थसारथी रामकृष्णन (IITR एवं AFSTI, लखनऊ चैप्टर), और प्रो. चार्ल्स ब्रेनन (मुख्य वैज्ञानिक निदेशक, खाद्य एवं पोषण नवाचार हब, RMIT, ऑस्ट्रेलिया) प्रमुख रहे।

इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एवं TISE CON 2025 के सह-संरक्षक प्रो. मोहम्मद हारिस सिद्दीकी ने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं और आयोजन समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. मोहम्मद जावेद (UAE) ने विज्ञान और अभियांत्रिकी के उभरते रुझानों पर अपने विचार रखे। डॉ. निदा फ़ातिमा (कार्यकारी निदेशक, इंटीग्रल स्टार्टअप फाउंडेशन) ने आयोजन समिति की सराहना की और नॉलेज के आदान-प्रदान की सफलता पर प्रकाश डाला। सम्मेलन के दौरान कई शैक्षिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की गईं, जिनका उद्देश्य विद्यार्थियों की ज्ञानवृद्धि, उत्साहवर्धन और उनकी बौद्धिक क्षमता को परखना था।

 

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