तकी हसनैन – 9532847355
लखनऊ, 23 सितंबर 2025। तहज़ीब और इल्म की सरज़मी लखनऊ ने आज एक बार फिर यह साबित कर दिया कि ज्ञान की असली रौशनी वहीं से फैलती है, जहाँ अदब और शराफ़त की बुनियाद मजबूत हो। इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, जो अपने तालीमी सफ़र में हमेशा नई राहें खोलने का काम करती रही है, ने विज्ञान और इंसानियत को एक सूत्र में पिरोते हुए ‘नैनोटेक्नोलॉजी फॉर पर्सनलाइज्ड एंड प्रिसिजन मेडिसिन : रीसेंट ट्रेंड्स’ विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया।
इस संगोष्ठी का आयोजन विज्ञान संकाय के बायोसाइंसेज विभाग द्वारा किया गया, जिसमें देश-विदेश के नामी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने शिरकत की। स्वास्थ्य सेवाओं में नैनोटेक्नोलॉजी की भूमिका, उसके भविष्य और शोध की संभावनाओं पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
कार्यक्रम का आगाज़ संस्थापक और कुलाधिपति प्रो. सैयद वसीम अख्तर के संदेश से हुआ। प्रो. अख्तर ने न केवल इस आयोजन की सफलता की दुआ की, बल्कि अपने उस मिशन को भी दोहराया जिसके तहत इंटीग्रल यूनिवर्सिटी केवल एक तालीमी इदारा नहीं, बल्कि एक ऐसा मरकज़ है जहाँ नौजवानों में इल्म के साथ-साथ अदब, तहज़ीब और शराफ़त का पैग़ाम भी दिया जाता है। उनकी कोशिशों ने यह साबित कर दिया है कि तालीम सिर्फ रोज़गार का जरिया नहीं, बल्कि इंसान को सोचने-समझने और समाज को तरक़्क़ी की राह दिखाने का माध्यम है।
उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. जावेद मुसर्रत, चांसलर के मुख्य सलाहकार प्रो. फुरकान क़मर, कुलसचिव प्रो. हारिस सिद्दीकी, विज्ञान संकाय के डीन प्रो. अब्दुल रहमान खान और रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के डीन प्रो. वहाजुल हक की गरिमामय मौजूदगी रही।
मुख्य अतिथि प्रो. फारुख अरजमंद (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) और विशिष्ट अतिथि प्रो. औरंगजेब खुर्रम हाफिज (जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली) ने अपने विचार रखते हुए नैनोटेक्नोलॉजी की अहमियत और इसके बदलते आयामों को उजागर किया।
अपने स्वागत भाषण में प्रो. अब्दुल रहमान खान ने बताया कि नैनोटेक्नोलॉजी इंसानी ज़िंदगी को आसान और बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा बदलावकारी साधन है। प्रो. फुरकान क़मर ने विज्ञान, समाज और वाणिज्य के आपसी रिश्ते को समझाते हुए कहा कि “विज्ञान से नवाचार पैदा होता है, समाज उससे लाभान्वित होता है और वाणिज्य उसको व्यवहारिक जीवन में लाने का जरिया बनता है।”
प्रो. औरंगजेब खुर्रम हाफिज ने इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों को विश्वस्तरीय पहचान का हकदार बताया और कहा कि आने वाले समय में हेल्थकेयर सिस्टम में नैनोटेक्नोलॉजी की भूमिका और भी अहम होगी। प्रमुख अतिथि प्रो. फारुख अरजमंद ने प्रिसिजन मेडिसिन को भविष्य की चिकित्सा प्रणाली की रीढ़ बताते हुए कहा कि यह हर मरीज के लिए व्यक्तिगत समाधान लेकर आती है। उन्होंने STEM, STEAM और STEAMC के एकीकरण को भी ज़रूरी ठहराया।
कुलपति प्रो. जावेद मुसर्रत ने बायोसाइंसेज विभाग को बधाई देते हुए मशहूर वैज्ञानिक रिचर्ड फाइनमैन का हवाला दिया—“There’s Plenty of Room at the Bottom”—और बताया कि नैनोटेक्नोलॉजी के ज़रिए एटम और मॉलिक्यूल स्तर पर नई थेरेपी विकसित की जा सकती है।
बायोसाइंसेज विभागाध्यक्ष प्रो. स्नोबर एस. मीर ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और आयोजकों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने डॉ. सलमान खान, डॉ. मोहम्मद रुमान सहित समन्वयकों और स्वयंसेवकों के सहयोग से कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जताई।
इस संगोष्ठी को वैश्विक स्तर के वक्ताओं—प्रो. योगेंद्र कुमार मिश्रा (माड्स क्लॉजन इंस्टीट्यूट, डेनमार्क), डॉ. रेहान खान (इंस्टिट्यूट ऑफ नैनोसाइंस एंड टेक्नोलॉजी, पंजाब) और डॉ. आशुतोष कुमार (अहमदाबाद यूनिवर्सिटी)—ने भी संबोधित किया।
200 से अधिक प्रतिभागियों की मौजूदगी ने इस बात को साबित किया कि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का मिशन केवल तालीम तक सीमित नहीं, बल्कि इल्म और अदब के साथ तरक़्क़ी के नए आयाम खोलने की भी जद्दोजहद है।