तहलका टुडे इंटरनेशनल डेस्क
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों पर युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
न्यायालय की प्री-ट्रायल चैंबर I ने गुरुवार को एक बयान में पुष्टि की कि ये वारंट “कम से कम 8 अक्टूबर 2023 से 20 मई 2024 तक किए गए अपराधों” के लिए जारी किए गए हैं, जब अभियोजन पक्ष ने गिरफ्तारी वारंट के लिए आवेदन दायर किया था।
यह पहला मौका है जब ICC ने अपनी 22 साल की इतिहास में किसी पश्चिमी सहयोगी देश के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी किया है।
क्या हैं आरोप?
न्यायालय के अनुसार, नेतन्याहू और गैलेंट पर गाजा पट्टी में “युद्ध के तरीके के रूप में भूखमरी” के युद्ध अपराध, हत्या, उत्पीड़न, और अन्य अमानवीय कृत्यों जैसे मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप है। साथ ही, “नागरिक आबादी के खिलाफ जानबूझकर हमला करने” का भी आरोप लगाया गया है।
न्यायालय के अधिकार क्षेत्र पर विवाद
इजरायल ने ICC के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी थी, लेकिन अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि इजरायल की सहमति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि फिलिस्तीन ने रोम स्टैच्यूट (Rome Statute) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो ICC का गठन करता है।
गिरफ्तारी के आदेश का प्रभाव
रोम स्टैच्यूट पर हस्ताक्षर करने वाले सभी 124 सदस्य देशों को अब इन व्यक्तियों को गिरफ्तार कर ICC के हवाले करना होगा। नीदरलैंड के विदेश मंत्री ने तुरंत कहा कि उनका देश वारंट लागू करने के लिए तैयार है, जबकि पहले 93 देशों ने ICC के समर्थन की पुष्टि की थी।
इजरायल और अमेरिका की प्रतिक्रिया
इजरायल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे “पूरी तरह से यहूदी-विरोधी” करार दिया। वहीं, अमेरिका, जो ICC का सदस्य नहीं है, ने वारंट पर टिप्पणी नहीं की है।
गाजा पर इजरायल का हमला
इजरायल ने 7 अक्टूबर 2023 को गाजा पर अपना हमला शुरू किया था, जिसमें अब तक 43,985 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। 104,092 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इस बीच, इजरायल अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में दक्षिण अफ्रीका द्वारा दायर जनसंहार के मामले का भी सामना कर रहा है।
“ऐतिहासिक निर्णय“
फिलिस्तीनी पीड़ितों के वकील ट्रायेस्टिनो मारीनियेलो ने इसे “ऐतिहासिक निर्णय” बताते हुए कहा कि ICC ने अमेरिका के दबाव और प्रतिबंधों की धमकियों के बावजूद सही कदम उठाया है।
यह मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण साबित हो सकता है और गाजा में हो रहे अत्याचारों को रोकने में सहायक हो सकता है।
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