तहलका टुडे टीम/अली मुस्तफा
लखनऊ, 7 मार्च: भाजपा सरकार द्वारा संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किए जाने के विरोध में आज मजलिस उलेमा-ए-हिंद की अगुवाई में आसिफी मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन का नेतृत्व सेव वक्फ इंडिया मिशन के प्रमुख और भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफताबे शरीयत, इमामे जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने किया। प्रदर्शन में शामिल अन्य प्रमुख उलमा में मौलाना मोहम्मद मियां आबिदी,मौलाना रज़ा हुसैन ,मौलाना वसी रज़ा आबिदी, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना निसार अहमद, मौलाना फिरोज हुसैन, मौलाना आदिल फ़राज़ मौजूद थे।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार की वक्फ विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की।
सरकार जबरदस्ती वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है: मौलाना कल्बे जवाद
विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि यह वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य है और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठन जहां भी इस बिल का विरोध करेंगे, हम उनके साथ खड़े रहेंगे और हर मंच पर इस बिल के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
उन्होंने कहा, “संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा मुसलमानों को धोखा दिया गया है। हमारे द्वारा भेजे गए सुझावों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया। कुछ लालची और पद लोभी मुसलमानों ने इस बिल का समर्थन किया, जिसके आधार पर सरकार यह दावा कर रही है कि मुसलमान इस बिल के पक्ष में हैं। यह सरासर झूठ और धोखा है।”
मौलाना ने जोर देकर कहा कि सरकार जबरदस्ती इस बिल को बलपूर्वक पारित कराना चाहती है ताकि वक्फ की जमीनों पर कब्जा किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह बिल वक्फ संपत्तियों को तबाह करने के इरादे से लाया गया है।
हुसैनाबाद ट्रस्ट और शाही शिफाखाना पर सरकार की नीयत खराब
मौलाना ने सरकार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि जिन वक्फ संपत्तियों की देखरेख जिलाधिकारी (DM) और कमिश्नर कर रहे हैं, उनकी हालत बदतर हो चुकी है। इसका उदाहरण हुसैनाबाद ट्रस्ट और शाही शिफाखाना है।
“हुसैनाबाद ट्रस्ट की इमारतें जर्जर हालत में हैं और वहां से आय का एक प्रतिशत भी उनकी मरम्मत पर खर्च नहीं किया जा रहा। ट्रस्ट की जमीनों पर अवैध कब्जे हो चुके हैं, मंदिर बना दिए गए हैं। इसी तरह, शाही शिफाखाना पर भी अवैध कब्जा हो चुका है। गरीबों और बीमारों के लिए बनाए गए कमरे अब आलीशान दुकानों में तब्दील हो गए हैं।”
मौलाना ने कहा कि जिलाधिकारी और कमिश्नर की निगरानी में पहले ही वक्फ संपत्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, इसके बावजूद सरकार उन्हीं के हवाले वक्फ संपत्तियों को देने की साजिश कर रही है।
उन्होंने मीडिया और प्रदर्शनकारियों को हुसैनाबाद ट्रस्ट और शाही शिफाखाना की जर्जर इमारतों और अवैध कब्जों की तस्वीरें भी दिखाईं। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
मुसलमानों को आर्थिक रूप से कमजोर करने की साजिश
मौलाना ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बिल मुसलमानों को आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़ा बनाने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि वक्फ संपत्तियों की आय से गरीबों की मदद की जाएगी, लेकिन यह सरासर झूठ और धोखा है।
“अगर सरकार को वाकई गरीबों की चिंता है तो मंदिरों से हजारों टन सोना निकालकर उसे देश की अर्थव्यवस्था में लगाया जाए। आखिर सरकार सिर्फ वक्फ संपत्तियों के लिए ही नया कानून क्यों बना रही है? मंदिरों को भी इसके दायरे में लाया जाना चाहिए, ताकि वहां का सोना-चांदी भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपा जाए और देश की गरीबी दूर की जाए।”
बीजेपी कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए वक्फ संपत्तियों पर निशाना साध रही है
मौलाना ने कहा कि भाजपा अब अपने “सबका साथ, सबका विकास” के नारे से पीछे हट गई है। यह सरकार सिर्फ कुछ फासिस्ट ताकतों और कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए यह विधेयक ला रही है।
उन्होंने मुसलमानों से मिलकर इस विधेयक का विरोध करने की अपील की और कहा कि “यह हमारा मिल्ली और मजहबी फर्ज है कि हम इस विधेयक को पारित होने से रोकें।”
मौलाना मुहम्मद मियां आबिदी और अन्य उलेमा का समर्थन
विरोध प्रदर्शन में मौजूद मौलाना मुहम्मद मियां आबिदी और मौलाना रज़ा हुसैन रिज़वी ने भी इस बिल की कड़ी निंदा की और कहा कि “अगर वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार हो रहा है, तो समाधान यह नहीं कि बोर्ड को ही खत्म कर दिया जाए। अगर सरकार ईमानदार है, तो वह एक निष्पक्ष जांच कमेटी बनाए, जिसका हम पूरा समर्थन करेंगे।”
प्रदर्शन में शामिल अन्य प्रमुख उलमा में मौलाना वसी रज़ा आबिदी, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना निसार अहमद, मौलाना फिरोज हुसैन, मौलाना आदिल फ़राज़ समेत कई अन्य गणमान्य शामिल थे।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम समाज और उलेमा में भारी आक्रोश है। मुसलमानों का मानना है कि यह सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मजलिस उलेमा-ए-हिंद और सेव वक्फ इंडिया मिशन ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार ने इस बिल को वापस नहीं लिया, तो देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और आंदोलन तेज किए जाएंगे।
“हम इस बिल को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे और इसका विरोध हर मंच पर जारी रहेगा।” – मौलाना कल्बे जवाद नकवी