तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली, 26 अप्रैल 2025
देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाते हुए सभी समाचार चैनलों, समाचार एजेंसियों और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक कड़ा परामर्श जारी किया है, जिसमें रक्षा अभियानों और सुरक्षा बलों की आवाजाही का किसी भी रूप में रीयल-टाइम प्रसारण करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
सरकारी परामर्श का मूल भाव:
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी इस सख्त परामर्श में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी सैन्य अभियान की ‘सूत्रों के हवाले से’ रिपोर्टिंग, सैनिकों की लाइव गतिविधियों का प्रसारण, या युद्धक गतिविधियों की रीयल-टाइम जानकारी देना न सिर्फ गंभीर लापरवाही है, बल्कि यह प्रत्यक्ष रूप से दुश्मन ताकतों को लाभ पहुंचाने का अपराध भी है।
सरकार ने उदाहरण स्वरूप अतीत की त्रासद घटनाओं का हवाला देते हुए समझाया है कि कैसे कारगिल युद्ध, 26/11 मुंबई आतंकी हमले और कंधार अपहरण जैसी स्थितियों में बेकाबू मीडिया कवरेज ने राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर क्षति पहुँचाई थी।
कानूनी प्रतिबद्धताएँ:
सरकार ने याद दिलाया है कि केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 के तहत ऐसे किसी भी प्रसारण पर पहले से ही रोक है जो:
- देश की संप्रभुता और अखंडता के विरुद्ध हो,
- राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, या विदेशी संबंधों को खतरे में डाले,
- किसी भी संवेदनशील या गोपनीय सूचना का अनधिकृत प्रकटीकरण करे।
मंत्रालय ने सख्त शब्दों में कहा है कि यदि कोई मीडिया संस्था इस परामर्श की अवहेलना करती है तो उसके खिलाफ नियमों के अनुसार त्वरित और कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सूचना सीमित और अधिकृत स्रोतों से:
सरकार ने यह भी निर्देशित किया है कि मीडिया रिपोर्टिंग केवल उन्हीं सूचनाओं पर आधारित होनी चाहिए, जो सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी के माध्यम से विधिवत जारी की गई हों। और वह भी तभी जब संबंधित अभियान पूरी तरह समाप्त हो चुका हो। किसी भी प्रकार की अटकलें, अपुष्ट समाचार या “सूत्रों के हवाले से” प्रसारित जानकारी को सख्त रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
सोशल मीडिया और आम नागरिकों को भी चेतावनी:
परामर्श सिर्फ मुख्यधारा मीडिया तक सीमित नहीं है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया यूज़र्स को भी आगाह किया है कि वे सैन्य गतिविधियों से जुड़ी कोई भी सूचना पोस्ट करने से पहले गंभीर जिम्मेदारी और संयम का परिचय दें। अफवाहें फैलाने, सैनिकों के मूवमेंट का वीडियो या फोटो साझा करने, या युद्धक योजनाओं के आकलन जैसे कृत्य देशद्रोह की श्रेणी में माने जाएंगे और दोषियों पर कानून के तहत सख्त कार्यवाही होगी।
मंत्रालय का दो टूक संदेश:
मंत्रालय के उप निदेशक क्षितिज अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया है:
“देश की सुरक्षा सर्वोपरि है। किसी भी कीमत पर दुश्मन को हमारी तैयारी, रणनीति या बलों की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं मिलनी चाहिए। मीडिया और नागरिकों दोनों को अपनी भूमिका का पूर्ण एहसास होना चाहिए और उन्हें राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। जो भी इस मर्यादा का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कठोर कानूनी कदम उठाए जाएंगे।“
सख्त चेतावनी, स्पष्ट संदेश:
यह परामर्श न सिर्फ एक चेतावनी है, बल्कि राष्ट्र विरोधी तत्वों को सरकार की तरफ से भेजा गया स्पष्ट संदेश है कि भारतीय लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को अब किसी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी।
राष्ट्रीय अस्मिता के संरक्षण हेतु कड़ा संकल्प:
आज जब भारत वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत और प्रतिष्ठा को नए शिखर पर ले जा रहा है, ऐसे समय में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए हर नागरिक, हर संस्था को राष्ट्रहित में अपनी भूमिका निभानी होगी।
सरकार का यह सख्त परामर्श इसी राष्ट्रीय संकल्प का जीवंत प्रमाण है।