वक्फ संपत्तियों पर भू-माफियाओं का कब्जा जारी, प्रशासन – शासन की चुप्पी शर्मनाक, मुख्यमंत्री के निर्देशों और नीतियों की अनदेखी: प्रदेश सरकार की अमानत में ख़यानत ,वक्फ संपत्तियां खतरे में

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वक्फ संपत्तियों पर भू-माफियाओं का कब्जा जारी, प्रशासन शासन की चुप्पी शर्मनाक

मुख्यमंत्री के निर्देशों और नीतियों की अनदेखी: प्रदेश सरकार की अमानत में ख़यानत ,वक्फ संपत्तियां खतरे में

तहलका टुडे टीम

लखनऊ:वक्फ संपत्तियों की लूट और अवैध कब्जों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह समस्या न केवल उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही है। शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड, वक्फ ट्रिब्यूनल और जिला प्रशासन की लापरवाही ने इन संपत्तियों को भू-माफियाओं के लिए खुला मैदान बना दिया है। इन संपत्तियों का उद्देश्य गरीबों की सहायता और धार्मिक कार्यों के लिए उपयोग होना था, लेकिन आज इन्हें व्यक्तिगत लाभ के लिए हड़पने का प्रयास किया जा रहा है। ईश्वर के नाम पर निहित इन संपत्तियों को बचाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों और संस्थाओं की है, वही इस खेल में मूकदर्शक बने हुए हैं।

वक्फ ट्रिब्यूनल और बोर्डों की निष्क्रियता

वक्फ ट्रिब्यूनल में अध्यक्ष की नियुक्ति न होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीईओ अपनी जिम्मेदारियों से नदारद हैं। आते ही नहीं,
जिलों में धारा 51, 52,धारा 54 की कार्यवाही वर्षों से अधर में, किसी प्रकार की न सख्त कार्रवाई हो रही है और न ही वक्फ बोर्ड से अवैध कब्जों के खिलाफ कोई निर्देश जारी हो रहा है। यह लापरवाही क्या महज एक इत्तेफाक है, या फिर भू-माफियाओं को संरक्षण देने की साजिश? इस सवाल का जवाब देना अब प्रशासन और शासन के लिए अनिवार्य हो गया है।

रिकॉर्ड नहीं, कार्रवाई नहीं: अधिकारियों की उदासीनता

जिले में तैनात अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और वक्फ इंस्पेक्टरों के पास वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड तक नहीं है। यह स्थिति बताती है कि किस हद तक प्रशासन इन संपत्तियों को लेकर गैरजिम्मेदार हो चुका है। भू-माफियाओं द्वारा संपत्तियों पर कब्जा करने के बावजूद, अधिकारी फाइलों में ही उलझे रहते हैं। इसके अलावा, जिन वक्फ इंस्पेक्टरों की जिम्मेदारी इन संपत्तियों की देखभाल की है, उनकी योग्यता पर भी गंभीर सवाल उठते हैं। न उन्हें उर्दू और फारसी का ज्ञान है, न ही वक्फ अधिनियम और भारतीय कानूनों की समझ। यह स्थिति वक्फ संपत्तियों की दुर्दशा की बड़ी वजह है।

संपत्तियों की लूट: एक सामाजिक और धार्मिक अपराध

वक्फ संपत्तियां किसी की निजी संपत्ति नहीं हैं। ये संपत्तियां गरीबों, बेसहारों और धार्मिक कार्यों के लिए बनाई गई थीं। इन्हें माफियाओं के हवाले कर देना न केवल कानून का मजाक है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक विश्वास के साथ भी गद्दारी है। वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे से न केवल धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को मिलने वाले लाभ भी खत्म हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी: क्या यह साजिश है?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए नियमावली बनाई है। लेकिन अधिकारियों की ओर से इस नियमावली को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। यह सीधे-सीधे प्रशासन की निष्क्रियता और वक्फ संपत्तियों को बर्बाद करने की मंशा को दर्शाता है। मुख्यमंत्री के निर्देशों की अनदेखी इस बात की ओर इशारा करती है कि या तो प्रशासन भू-माफियाओं के दबाव में है, या फिर वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है।

समस्या का समाधान: एकजुटता और सख्त कार्रवाई की जरूरत

वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए केवल सरकार और वक्फ बोर्ड पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। यह लड़ाई हर उस इंसान की है, जो न्याय और ईमानदारी पर विश्वास करता है। हमें अवैध कब्जों और भू-माफियाओं के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। इसके साथ ही, वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन और वक्फ बोर्ड पर दबाव बनाना होगा।

1. योग्य वक्फ इंस्पेक्टरों की नियुक्ति:
वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए उर्दू, फारसी, और कानून का ज्ञान रखने वाले वक्फ इंस्पेक्टरों की नियुक्ति अनिवार्य होनी चाहिए। यूपीएसएससी के माध्यम से 75 जिलों में वक्फ इंस्पेक्टरों की नियुक्ति की जाए, ताकि इन संपत्तियों का सही प्रबंधन हो सके।

2. डिजिटल रिकॉर्ड:
वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाना चाहिए, ताकि इन पर किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो सके।

3. स्पेशल टास्क फोर्स:
वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाई जानी चाहिए, जो भू-माफियाओं और अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सके।

अपील: जागरूकता फैलाएं, वक्फ संपत्तियों को बचाएं

अगर आज हम चुप रहे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। आइए, वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए जागरूकता फैलाएं और इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। हमें समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना होगा, ताकि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग हो सके और समाज के गरीब और जरूरतमंद लोग इनसे लाभान्वित हो सकें।

वक्फ संपत्तियां समाज और भारत की अमूल्य धरोहर हैं। इनकी रक्षा के लिए न केवल प्रशासन और वक्फ बोर्ड को, बल्कि हर नागरिक को आगे आना होगा। यह समय चुप रहने का नहीं, बल्कि न्याय और ईमानदारी के लिए खड़े होने का है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह धरोहर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।

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