🐐💍 “जब बकरा कटता रहा, गरीब भूखा रहा… और इधर समाजवाद रिंग में उतर गया!”
– रिंकू-प्रिया की सगाई पर जनता की आंखों में आंसू और सोशल मीडिया में चमकदार झलकियां!
सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव/मोहम्मद वसीक
लखनऊ:ईद-उल-अज़हा के दूसरे दिन जब गरीब मोहल्लों में बकरा सिर्फ “दूसरों की थाली में” नजर आ रहा था, उसी समय खबरें आईं कि सपा सांसद प्रिया सरोज और क्रिकेटर रिंकू सिंह की रिंग सेरेमनी बड़े ही “समाजवादी स्टाइल” में हो रही है — यानी, समारोह समाजवादी था लेकिन खर्च पूंजीवादी, और गेस्ट लिस्ट कॉरपोरेट से भी ऊपर!
🎪 समाजवाद का नया मंच – शेरवानी में हीरो, लहंगे में विचारधारा!
एक समय था जब समाजवाद का मतलब था – गरीब के हक की लड़ाई, सड़क पर संघर्ष, भाषण में आंसू।
अब समाजवाद का मतलब है – हीरे से जड़ी अंगूठी, थाई कुर्सियों पर मेहमान और कैमरे के सामने मुस्कान में क्रांति!
सवाल पूछना तो बनता है:
क्या यह वही समाजवाद है, जिसकी किताबें लोहिया जी ने लिखी थीं या यह “इंस्टाग्राम समाजवाद” है जिसकी स्क्रिप्ट सोशल मीडिया मैनेजर तय करता है?
🍗 बकरा कट गया, लेकिन गरीब को मिला क्या?
ईद के दूसरे दिन जब मोहल्ले के ग़रीब ने उम्मीद से देखा कि शायद कोई गोश्त पहुंचा दे…
…तभी वॉट्सएप पर एक मैसेज आया:
“आप रिंकू-प्रिया की रिंग सेरेमनी में आमंत्रित नहीं हैं, लेकिन अपडेट इंस्टा स्टोरी में पा सकते हैं।”
अब सवाल उठता है –
क्या गोश्त के बदले फोटो देख कर पेट भरेगा गरीब?
या फिर वो बच्चा, जो कुर्बानी की उम्मीद में बैठा था, अब यही समझेगा कि ‘बकरा सिर्फ अमीरों की थाली में पहुंचता है, जैसे समाजवाद सिर्फ उनके लॉन तक सीमित है।’
🛋️ रिंग सेरेमनी में अखिलेश यादव – राजनीति का कैमरा-फ्रेंडली आशीर्वाद!
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का आगमन भी हुआ, और आशीर्वाद के साथ सेल्फी का दौर भी चला।
वो बोले नहीं, पर मुस्कान में संदेश था –
“समाजवाद अब ‘बुलेट ट्रेन’ की रफ्तार से आगे है, जहां सत्ता भी मिलती है और सगाई में शोभा भी।”
किसी ने वहीं कान में कह डाला –
“लोहिया जी अगर ज़िंदा होते, तो शायद RSVP पर लिखते – ‘माफ कीजिए, सिद्धांत व्यस्त हैं।’”
📷 ड्रोन कैमरा उड़ता रहा, मीडिया चिल्लाता रहा – वाह रे समाजवाद!
दृश्य कुछ ऐसा था:
- पृष्ठभूमि में सजी-धजी महफ़िल
- बीच में रिंकू प्रिया का ‘सिंपल सा’ मंच
- और नीचे वो जनता जो अब राजनीति को Reality Show समझ चुकी है
आम आदमी बोले –
“रिंग मिल गई, मगर गरीब को आज भी Ration Card में अंगूठा लगाना पड़ता है।”
🎤 जनता का प्रश्नपत्र –
- समाजवाद में रिंग सेरेमनी का बजट कितना होता है?
- क्या गरीब भी RSVP कर सकता है?
- क्या आने वाले इलेक्शन में वोटिंग से पहले अंगूठी दिखानी होगी?
📣 नतीजा – समाजवाद Updated Version 2.0 लॉन्च हो चुका है!
- गरीब के थाली में हवा
- नेता के हाथ में आशीर्वाद
- क्रिकेटर के पास पैसा
- और कैमरा सबका बाप!
अब जब अगली बार कोई गरीब कहे, “हम समाजवादी हैं”
तो पूछिएगा –
“कौन वाला समाजवाद? बकरा वाला या अंगूठी वाला?”
🖋️ अंत में बस इतना ही –
“जब विचारधारा बिक जाए, और समारोह ब्रांड बन जाए…
तब समझिए समाजवाद Instagram पर ट्रेंड कर रहा है, और सच्चाई फुटपाथ पर कुर्बान हो रही है।”
(व्यंग्य है, हक़ीक़त से मेल खा जाना सिर्फ संयोग नहीं, सिस्टम की सहूलियत है।) 😄