✍️ सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा
दुनिया के हर कोने में अब जंग तलवार और बारूदी असलहे से नहीं, मीडिया से लड़ी जा रही है।
जिस देश और क़ौम का मीडिया मज़बूत होता है, उसी की आवाज़ दुनिया सुनती है।
आज का दौर मीडिया का है — फैक्ट्री हो, बड़े वकील हों, बिज़नेसमैन, NGO, MLA, MLC, MP या चेयरमैन — हर कोई चाहता है कि उसका मीडिया स्ट्रॉन्ग हो। और इसके लिए सबसे ज़्यादा डिमांड है BJMC और MJMC डिग्री धारकों की। इस पेशे में इज्ज़त भी है, रोज़गार भी और समाज को आगे ले जाने का सुनहरा मौका भी।
लेकिन अफ़सोस! जिस ख्वाब को हमारे उलेमा और रहनुमा ने देखा था—कि शिया नौजवान मीडिया और पत्रकारिता में आगे बढ़कर समाज का चौथा स्तंभ मज़बूत करें—वो ख्वाब अभी अधूरा है।
आज शिया पी.जी. कॉलेज में बे तवज्जोई का शिकार हो रहा है।
आज वक्त की पुकार है कि शिया बेटा-बेटी मीडिया के मैदान में उतरें। कलम को हथियार बनाएं और समाज को बुलंदियों तक पहुंचाएं।
📌 हकीकत का आईना
शिया पीजी कॉलेज में बड़ी मेहनत मशक्कत के बाद इन कोर्स को शुरू किया गया।
- BJMC (Bachelor of Journalism & Mass Communication) की 60 सीटों में आधे से भी कम भरी हुई हैं।
- MJMC (Master of Journalism & Mass Communication) की 40 सीटों में भी बड़ी संख्या खाली है।
- कॉलेज मैनेजमेंट और समाज दोनों की तरफ़ से इस पर गंभीर ध्यान नहीं दिया गया।
- क़ौम के लोगो में और बच्चों में इस बात की जागरूकता नहीं रही कि जो दूरअंदेशी से कोर्स शुरू किए गए उनकी अनदेखी कर दी
⚠️ अगर यही हाल रहा, तो शिया समाज मीडिया जैसे ताक़तवर फील्ड से और भी पीछे रह जाएगा
📖 मीडिया का मक़ाम: कुरआन और अहलेबैत अ.स. की रोशनी में
- कलम की कसम: “नून, क़लम की क़सम और जो कुछ वो लिखते हैं उसकी क़सम।” (सूरह अल-क़लम 68:1)
- गवाही छुपाना गुनाह: “और गवाही को मत छुपाओ, और जो इसे छुपाए उसका दिल गुनहगार है।” (सूरह अल-बक़रा 2:283)
- हक़ और बातिल का फ़र्क: “और हक़ को बातिल से न मिलाओ, और न हक़ को छुपाओ जबकि तुम जानते हो।” (सूरह अल-बक़रा 2:42)
👉 यानी मीडिया दरअसल हक़ की गवाही और तबलीग़ का सबसे बड़ा जरिया है।
🌹 अहलेबैत अ.स. और मीडिया
- इमाम हुसैन अ.स. ने कर्बला में जिहाद तलवार से किया, मगर उनका पैग़ाम ज़िंदा रहा इमाम ज़ैनुलआबिदीन अ.स. और बीबी ज़ैनब स.अ. के खुत्बों की वजह से।
- बीबी ज़ैनब स.अ. ने दरबार-ए-यज़ीद में फरमाया:
“ऐ यज़ीद! तेरा ख्याल है कि तूने हमारी याद मिटा दी? खबरदार! हमारी याद कभी मिटेगी नहीं।”
👉 यह मीडिया की सबसे बुलंद मिसाल है—मज़लूमियत की आवाज़ बुलंद करना।
👳 उलेमा और रहनुमाओं की तालीमात
- आयतुल्लाह ख़ुमैनी (रह): “कलम और अख़बार से क़ौम की तक़दीर लिखी जाती है।”
- आयतुल्लाह सिस्तानी (दाम-ज़िल्लुहु): “मीडिया इस्लामी समाज की आंख और कान है।”
- मौलाना कल्बे सादिक़ (रह): “जिस क़ौम का मीडिया स्ट्रॉन्ग नहीं, वो हमेशा दूसरों की गुलाम रहती है।”
- डॉ. कल्बे जवाद नक़वी: “आज मीडिया सबसे बड़ा हथियार है। अगर हमारी कौम इससे दूर रही तो हमारी आवाज़ हमेशा दबाई जाएगी।”
- मेरी दिली ख़्वाहिश और दुआ है कि हमारी बेटियाँ और बेटे BJMC व MJMC में दाख़िला लेकर कलम को तलवार बनाएं और इस्लाम व इंसानियत का पैग़ाम पूरी दुनिया तक पहुँचाएं।”
- 🎙️ मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी (सेक्रेट्री – तंजीमुल मकातिब) का बयान“आज मीडिया दुनिया का सबसे बड़ा अस्रअंदाज़ (influential) हथियार है।दुश्मन हमारी अक़ीदत और हमारी तालीमात पर वार करता है तो वो बंदूक से नहीं बल्कि मीडिया से करता है।अगर शिया नौजवान मीडिया से दूर रहे तो हमारी आवाज़ दबा दी जाएगी।
✨ आज की ज़िम्मेदारी
मीडिया सिर्फ़ एक पेशा नहीं, बल्कि:
- हक़ की गवाही है।
- इल्म की तबलीग़ है।
- मज़लूम की आवाज़ है।
👉 BJMC और MJMC में दाख़िला लेना सिर्फ़ करियर नहीं, बल्कि दीन और समाज की ख़िदमत है।
🖋️ मेरी दिली अपील
शिया नौजवानों से मेरी गुज़ारिश है:
- इस कोर्स को अपनाइए।
- मेहनत कीजिए।
- अपनी क़ाबिलियत से अपनी कौम और दीन की आवाज़ बनिए।
आइए मिलकर शिया समाज का मीडिया मज़बूत करें, ताकि आने वाली नस्लें सर उठाकर कह सकें:
“हाँ, हमने अपना चौथा स्तंभ मज़बूत बनाया है।” 📺📰