लखनऊ की तहज़ीब के लिए वफ़ा की पुकार — रक्षा मंत्री से मुलाकात, धरोहरों के रखवाले रिज़वान हैदर को पद्म सम्मान की मांग”

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लखनऊ की तहज़ीब को नया जीवन: वफ़ा अब्बास की पहल पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिए ऐतिहासिक निर्देश

तहलका टुडे टीम

लखनऊ — तहज़ीब, तमीज़ और तरबियत का शहर। एक ऐसा शहर जो सिर्फ इमारतों में नहीं, दिलों में बसता है। और जब किसी शहर की आत्मा पर समय की गर्द जमने लगे, तब ज़रूरत होती है उन हाथों की, जो उसे फिर से साफ़ करें, संवारें और सजाएं।

ऐसी ही एक कोशिश की पहल की अंबर फाउंडेशन के चेयरमैन वफ़ा अब्बास ने, जब उन्होंने भारत सरकार के माननीय रक्षा मंत्री एवं लखनऊ के सांसद श्री राजनाथ सिंह जी से एक बेहद अहम और भावनात्मक आज उनके लखनऊ प्रवास के दौरान मुलाकात की।

मुद्दा था लखनऊ की विरासत को फिर से जीवित करने का।

इस मुलाकात में वफा अब्बास ने लखनऊ की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों — शाह नजफ, काज़मैन, बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा — पर अधूरे पड़े पुरातत्व विभाग के कार्यों में तेजी लाने की गुहार की।

साथ ही खास ज़िक्र किया गया शाही जामा मस्जिद, तहसीनगंज के उस ऐतिहासिक गेट का, जिसे ब्रिटिश काल में तोड़ दिया गया था। उस गेट का पुनर्निर्माण आज भी एक सपना है — लेकिन इस सपने को अपनी ज़िंदगी का मक़सद बना लिया है पूर्व डिप्टी एसपी सैयद रिज़वान हैदर साहब ने, जिनकी उम्र आज 95 वर्ष है।

बिना किसी शोर-शराबे के, बिना मंच या माइक के, रिज़वान हैदर साहब सालों से इस धरोहर को फिर से जिंदा करने में लगे हैं। उन्होंने पुरातत्व विभाग से अनुमति ले ली थी, अब फाइलें नगर निगम की मेज़ पर अटकी थीं।

वफा अब्बास ने यह मुद्दा जब श्री राजनाथ सिंह जी के समक्ष उठाया, तो उन्होंने न सिर्फ गहराई से इसे सुना, बल्कि तुरंत नगर आयुक्त को फोन कर NOC जारी करने के निर्देश भी दिए।

लेकिन इस मुलाकात की सबसे भावुक घड़ी वह थी, जब वफा अब्बास ने रक्षा मंत्री से आग्रह किया:

“एक ऐसा इंसान, जो उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी लखनऊ की मिट्टी से मोहब्बत कर रहा है, जो विरासत की इमारतों से नहीं, तहज़ीब से इश्क करता है — उसे भारत सरकार का पद्म सम्मान दिया जाए।”

यह कोई साधारण मांग नहीं थी — यह लखनऊ की आत्मा के सबसे पुराने, सबसे वफ़ादार सिपाही के लिए एक इज़्ज़त भरी दुआ थी।

वफा अब्बास ने साथ ही गार वाली करबला के सौंदर्यीकरण, और अंबर फाउंडेशन द्वारा प्रस्तावित नेत्र चिकित्सा शिविर की मोबाइल वैन की विस्तृत रिपोर्ट भी सौंप दी, जिसे मंत्री जी ने ससम्मान स्वीकार किया।

यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं थी, यह लखनऊ के अतीत और भविष्य के बीच पुल बनाने की शुरुआत थी।

सैयद रिज़वान हैदर जैसे लोग हमारे समय के खामोश नायक हैं, जिन्हें शायद अख़बारों की सुर्खियां न मिलें, लेकिन शहर की हर ईंट उनकी मेहनत की गवाह बन जाए।

वफा अब्बास की अपील:

“मैं सभी लखनऊवासियों, समाजसेवियों और इतिहास प्रेमियों से कहता हूँ — यह सिर्फ मेरा मिशन नहीं है, यह हम सबका फर्ज है। आइए, मिलकर लखनऊ की रूह को फिर से जागृत करें।”

शब्दों से आगे, अब समय है साज़िशों से नहीं, साझेदारी से शहर को बचाने का।

रिपोर्ट:
हसनैन मुस्तफा 

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