“उम्मीद पोर्टल — औकाफ़ की हिफ़ाज़त का जरिया या मुसीबत? ट्रेनिंग फ्लॉप, रेकॉर्ड अधूरे और कब्ज़े बरकरार”

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तहलका टुडे टीम

औकाफ़ संपत्तियाँ मुस्लिम समाज की अमानत और इंसानियत की भलाई के लिए ईश्वर में निहित दान हैं। इनकी रक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने बड़े दावों के साथ “उम्मीद पोर्टल” लॉन्च किया था। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि यह पोर्टल औकाफ़ के लिए उम्मीद से ज़्यादा मुसीबत बन चुका है। रेकॉर्ड अधूरे हैं, मुतवल्ली बेखबर हैं, ट्रेनिंग फेल हो चुकी है और कब्ज़ेदार पहले से ज्यादा मजबूत।

 

ट्रेनिंग फ्लॉप, बना तमाशा

आज “उम्मीद पोर्टल” की ट्रेनिंग का हाल देखने लायक था।

  • प्रदेश के 18 मंडलों में एक लाख से ज़्यादा मुतवल्ली हैं।
  • लेकिन जूम पर हुई ट्रेनिंग में मुश्किल से कुछ सौ लोग ही जुड़ पाए।
  • अधिकांश मुतवल्ली तक ट्रेनिंग की सूचना पहुँची ही नहीं, और जो पहुँची उन्हें तकनीकी साधनों की कमी ने रोक दिया।

यानी, जिस पोर्टल से पूरे सिस्टम को डिजिटल करना था, उसकी शुरुआत ही एक फ्लॉप शो बन गई।

औकाफ़ की बर्बादी का दस्तावेज़
उम्मीद पोर्टल ने औकाफ़ की दशा पर से परदा उठा दिया है:

  • 90% औकाफ़ के बैंक अकाउंट तक नहीं।
  • PAN कार्ड जारी नहीं हुए।
  • बैलेंस शीट दाखिल नहीं होती।
  • दुकानों, मकानों और ज़मीन जैसी संपत्तियों के रेकॉर्ड अधूरे या गायब।
  • कई औकाफ़ में न प्रशासक है न मुतवल्ली — तो ऑनलाइन फॉर्म कौन भरेगा?
  • राजस्व विभाग में दाखिल-खारिज अधर में, पुराने नंबर अब तक नए में तब्दील नहीं।
  • गूगल सर्वे और नगर पालिका में रेकॉर्ड अद्यतन तक नहीं।

जन सेवा केंद्र और तालमेल की कमी
अब हालात ऐसे हैं कि इस काम के लिए जन सेवा केंद्रों (CSC) का सहारा लेना ज़रूरी हो गया है। लेकिन औकाफ़ बोर्ड और जिला प्रशासन में तालमेल न होने से यह काम और जटिल बन गया है। बिना प्रशासनिक मदद के पोर्टल पर अपलोडिंग नामुमकिन है।

कब्ज़े और अवैध निर्माण की अनदेखी
सेव वक्फ इंडिया मिशन के वाइस प्रेसिडेंट सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा ने कड़ा सवाल उठाया है कि अगर सरकार इतनी मेहनत औकाफ़ को भू-माफ़ियाओं और अवैध कब्ज़ों से मुक्त कराने पर करती तो आज हालात अलग होते।

उनका कहना है:

“आज कब्ज़ेदार बढ़ रहे हैं, औकाफ़ घट रहे हैं। अगर सरकार कब्ज़ेदारों को किरायेदार बनाती, तो औकाफ़ की आमदनी बढ़ती और समाज की भलाई के काम होते।”

कानूनी और प्रशासनिक लापरवाही

  • कई औकाफ़ में धारा 37 की कॉपी तक कमेटियों के पास नहीं है।
  • नगर पालिका में दाखिल-खारिज नहीं हुआ।
  • कई जगह न प्रशासक न मुतवल्ली मौजूद हैं।
  • जमीनों पर अवैध कब्ज़े और नाजायज निर्माण खुलेआम जारी हैं।

यानी कानूनी और प्रशासनिक लापरवाही ने औकाफ़ को और कमजोर कर दिया है।

सेव वक्फ इंडिया की अपील
सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अल्पसंख्यक मंत्रालय, सेंट्रल वक्फ काउंसिल, राज्यों के मुख्यमंत्री, वक्फ मंत्री और मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर यह माँग रखी है:

  1. कब्ज़ाधारियों को किरायेदार बनाया जाए ताकि वक्फ की आय बढ़े।
  2. पुराने राजस्व रिकॉर्ड तुरंत नए नंबरों में बदले जाएँ।
  3. गूगल सर्वे और भू-लेख अद्यतन कराए जाएँ।
  4. औकाफ़ बोर्ड और जिला प्रशासन मिलकर संयुक्त कार्रवाई करें।
  5. सरकार औकाफ़ को ईश्वर की अमानत मानकर जिम्मेदार संरक्षक की तरह उनकी रक्षा करे।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा:

“वक्फ संपत्तियाँ इंसान की नहीं बल्कि ईश्वर में निहित अमानत हैं। अगर सरकार और कानून इन अमानतों की हिफ़ाज़त और इंसानियत की भलाई के लिए काम नहीं करेंगे, तो वे आवाम और मुल्क का भला कैसे कर सकते हैं?”

“उम्मीद पोर्टल” से औकाफ़ की स्थिति सुधरने के बजाय और जटिल हो गई है। पोर्टल की तकनीकी खामियाँ, अधूरे रेकॉर्ड, कब्ज़े और प्रशासनिक लापरवाहियाँ औकाफ़ के अस्तित्व पर बड़ा ख़तरा हैं। आज जरूरत इस बात की है कि सरकार औकाफ़ की रक्षा को गंभीरता से ले और ठोस कदम उठाए, वरना यह पवित्र अमानतें धीरे-धीरे भू-माफ़ियाओं और अवैध कब्ज़ेदारों के हवाले हो जाएँगी।

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