उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री दानिश आज़ाद अंसारी 5 दिन से सर्वर डाउन होने के बावजूद ‘उम्मीद पोर्टल’ की समय सीमा बढ़ाने की मांग केंद्रीय कैबिनेट मंत्री किरेन रिजजू से साफ-साफ कहने की हिम्मत नहीं  पाए जुटा, खड़े-खड़े हुई मुलाक़ात बनी चर्चा, मुस्लिम समाज में सदमा,मौलाना कल्बे जवाद को आया गुस्सा

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तहलका टुडे टीम/अली मुस्तफा

नई दिल्ली/लखनऊ।
वक्फ़ संपत्तियों के डिजिटल पंजीकरण हेतु लागू ‘उम्मीद पोर्टल’ पिछले लगातार 5 दिनों से सर्वर डाउन रहने के कारण देशभर के मुतवल्लियों, औक़ाफ़ कमेटियों एवं संस्थाओं का कार्य पूरी तरह ठप है। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि नज़दीक होने से हज़ारों वक्फ़ संपत्तियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। इसी गंभीर स्थिति के बीच उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ़ राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने नई दिल्ली स्थित संसद भवन में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजजु से मुलाक़ात तो की, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विषय — रजिस्ट्रेशन की समय सीमा बढ़ाने की मांग स्पष्ट रूप से रखने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

यह मुलाक़ात मात्र औपचारिक एवं खड़े-खड़े होने तक सीमित रही, जबकि कौम और औक़ाफ़ हितों से संबंधित महत्वपूर्ण मसले पर एक शब्द भी न उठना पूरे मुस्लिम समाज में निराशा और सदमे का कारण बना हुआ है।

अपने ही सरकार के फैसले में अवरोध दूर नहीं कर पा रहे केंद्रीय मंत्री और राज्य मंत्री, अल्पसंख्यक कल्याण वक्फ़ विभाग सवालों के घेरे में

जब उम्मीद पोर्टल की तकनीकी नाकामी ने देशभर में अफरातफरी मचा रखी है और
जब रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख बेहद नज़दीक है,
ऐसे में दोनों स्तरों पर जिम्मेदार मंत्री —
केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजीजू एवं यूपी के राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी
अपनी ही सरकार के निर्णय में उत्पन्न अवरोध दूर करने में विफल नज़र आ रहे हैं।

तीखे सवाल उठ रहे हैं:

  • क्या मंत्रालय तकनीकी विफलताओं को सुधारने में सक्षम है?
  • क्या वक्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा केवल भाषणों का मुद्दा बनकर रह गई है?
  • क्या लाखों मुसलमानों की उम्मीदों से जुड़ी यह प्रक्रिया राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हो रही है?

मुस्लिम समाज और औक़ाफ़ से जुड़े संगठन इस पूरी स्थिति को अल्पसंख्यक मंत्रालय की असफलता और लचर कार्यशैली के रूप में देख रहे हैं।

भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफ़ताब-ए-शरीअत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नक़वी ने मंत्रालय की निष्क्रियता पर जताई कड़ी नाराज़गी

देश के प्रतिष्ठित धर्मगुरु और भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी ‘आफ़ताब-ए-शरीअत’ मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नक़वी ने भी
उम्मीद पोर्टल की लगातार समस्याओं और अल्पसंख्यक मंत्रालय की निष्क्रियता पर तीखी नाराज़गी जताई।

उन्होंने कहा:

“औक़ाफ़ सदियों की अमानत हैं — काग़ज़ी वादों से नहीं, अमली कदमों से बचती हैं।
सिस्टम मजबूत किया जाए, पोर्टल स्थिर हो, सर्वर समस्याएँ तुरंत दूर हों।
वरना यह रजिस्ट्रेशन अधूरा रह जाएगा और औक़ाफ़ असुरक्षित हो जाएंगे।”

मौलाना ने स्पष्ट चेतावनी दी कि
औक़ाफ़ के मामलों में देरी और तकनीकी कमजोरी गंभीर नुकसान का कारण बन सकती है।

समुदाय की मांग

  • उम्मीद पोर्टल को High-Capacity Server पर तुरंत शिफ्ट किया जाए
  • सर्वर क्रैश के कारण खोए डेटा की सुरक्षा और पुनर्स्थापना सुनिश्चित की जाए
  • रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि तत्काल बढ़ाई जाए
  • जिला-स्तरीय हेल्प डेस्क स्थापित हों
  • तकनीकी सहायता 24×7 उपलब्ध कराई जा
  • जब पूरी कौम संकट में है, तब जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों का मौन और निष्क्रियता

मुस्लिम समाज में गहरी निराशा और अविश्वास

अब निगाहें केंद्र सरकार पर हैं —
क्या सरकार समय सीमा बढ़ाकर करोड़ों लोगों को राहत देगी या चुप्पी बरकरार रहेगी?

“क्या सरकार वक्फ़ की अमानत बचाएगी?

समय सीमा बढ़नी चाहिए — सहमत हैं तो शेयर करें।”**

“कौम की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता — इस खबर को हर प्लेटफॉर्म पर फैलाएँ।”

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