भारत की रूहानी बुलंदी: ईरान में मौलाना डॉ. क़लबे जवाद नक़वी को इमाम ख़ुमैनी अवॉर्ड पर सजदाए शुक्र,अम्बर फ़ाउंडेशन ने ठंड में गरीब बच्चों को स्वेटर बाँटकर मनाया जश्न

Aftab-e-Shariat Maulana Kalbe Jawad Naqvi’s global recognition reflects India’s spiritual legacy

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आफताब ए शरीयत मौलाना डॉ. क़लबे जवाद नक़वी साहब के ईरान में दुनिया का पहला इमाम खुमैनी अवॉर्ड मिलने पर अम्बर फ़ाउंडेशन ने पेश किया स्वेटर बांट कर इंसानियत का दिया नया पैग़ाम

तहलका टुडे डेस्क/सैयद अली मुस्तफा

लखनऊ :ईरान में भारत की सुप्रीम रिलिजियस अथॉरिटी, आफ़ताब-ए-शरीअत मौलाना डॉ. सैयद क़लबे जवाद नक़वी साहब को पहला इमाम ख़ुमैनी इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने के बाद
पूरा भारत सजदे, दुआ और सदक़े में डूब गया।
किन्तूर, बाराबंकी, लखनऊ और अन्य हिस्सों में शबे-जुमा और नमाज़-ए-जुमा में
ख़ास दुआएँ और अल्लाह का शुक्र अदा किया गया।

इस ऐतिहासिक मौके को और भी रूहानी रंग देने के लिए
अम्बर फ़ाउंडेशन ने कड़कती ठंड में
गरीब बच्चों और जरूरतमंदों को स्वेटर बांटकर
इंसानियत और दुआ का पैग़ाम पेश किया।
इस दौरान छोटे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान
और उनके दिलों में गर्माहट का एहसास
पूरे कार्यक्रम को एक मार्मिक और यादगार लम्हा बना गया।

वफ़ा अब्बास और हज़रत अली (अ.स) इंटरनेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी

इस पहल के ज़रिए देश को इल्म और रूहानी चेतना का केंद्र बनाने वाले
अम्बर फ़ाउंडेशन के चेयरमैन वफ़ा अब्बास,
जो हज़रत अली (अ.स) इंटरनेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के फाउंडर ग्रुप के जिम्मेदार हैं,
ने स्पष्ट किया कि यह स्वेटर वितरण
केवल ठंड से बचाने के लिए नहीं था,
बल्कि इल्म, इंसानियत और अहलेबैत के पैग़ाम को ज़िंदा रखने के लिए एक प्रतीक है।

वफ़ा अब्बास ने कहा:

“यह सम्मान किसी एक शख़्स का नहीं,
बल्कि पूरे भारत की इज़्ज़त और संस्कृति की जीत है।
जब अल्लाह किसी क़ौम को सरफ़राज़ करता है,
तो उसका शुक्र सजदे, दुआ और सदक़े और गरीबों के माध्यम से अदा करना चाहिए।”

*सजदे, दुआ और सदक़ा,गरीबों की मदद: भारत की तहज़ीब की मिसाल*

नमाज़-ए-जुमा और शबे-जुमा में हाथ उठे, दिलों में शुक्र उमड़ा।

गरीब बच्चों और जरूरतमंदों के लिए स्वेटर, और दुआ का सिलसिला जारी रहा।

युवा पीढ़ी में इल्म और इंसानियत की भावना को प्रेरित किया गया।

यह मंज़र दिखाता है कि भारत की तहज़ीब
आज भी खुशी को इबादत और सेवा में बदलने में विश्वास रखती है।

*आफताब ए शरीयत मौलाना डॉ. क़लबे जवाद नक़वी साहब: किरदार और प्रेरणा*

मौलाना साहब का जीवन इल्म, बेबाक़ी और इंसाफ़ की मिसाल है।

वक़्फ़ और धर्मस्थलों की हिफ़ाज़त

मज़लूमों की आवाज़ बुलंद करना

नफ़रत और फितना के ख़िलाफ़ डटकर खड़ा होना

दीन और इंसानियत को जोड़ना

इसी वजह से पूरे भारत में
सजदे और दुआएँ उठीं।

ठिठुरती इंसानियत और सजदा

जब कड़कती ठंड में
गरीब बच्चों को स्वेटर बांटे गए
और पूरे देश में सजदे, दुआ और सदक़े का सिलसिला चला,
तो यह साबित हुआ कि
इल्म, इंसानियत और अहलेबैत का पैग़ाम आज भी ज़िंदा है।

> “इज़्ज़त अल्लाह देता है, और बंदा सजदे में झुकता है।
ठंड, कठिनाई और कठिन हालात में भी इंसानियत की गर्माहट बनी रहती है।”

मौलाना डॉ. क़लबे जवाद नक़वी साहब के सम्मान पर वफ़ा अब्बास की यह रूहानी पहल
इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी।

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