वक्फ़ का परचम -आफताब ए शरीयत मौलाना कल्बे जवाद नकवी पर जानलेवा वार, ‘सेव वक्फ़ इंडिया’ ने मुख्यमंत्री से कड़े कदम उठाने की माँग पर दर्ज हुई हमलावरों पर एफआईआर

THlkaEDITR
6 Min Read
तहलका टुडे

लखनऊ, 13 अक्टूबर 2025। राजधानी के अब्बास बाग करबला इलाके में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी पर हुए जानलेवा हमले ने शहर में भारी आक्रोश एवं बेचैनी पैदा कर दी है। घटना के बाद ठाकुरगंज थाना में FIR संख्या 0622/2025 दर्ज की गई है और पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (B.N.S.) 2023 की धाराओं 191(2), 126(2), 324(2), 352, 351(3) और 131 के अंतर्गत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

घटना के अनुसार, मौलाना वक्फ़ की जमीनों पर अवैध कब्ज़ों के निरीक्षण के लिए अब्बास बाग करबला पहुंचे थे; तभी करीब 20-25 लोगों के एक झुंड ने उन पर हमला कर देने की नीयत से घेर दिया, उनकी गाड़ी रोकने और शीशे तोड़ने की कोशिश की। सुरक्षा कर्मियों और स्थानीय लोगों की तत्परता से मौलाना सुरक्षित निकले—वरना परिणाम और भी भयंकर हो सकता था। जांच अधिकारी एसआई अवधेश कुमार यादव को मामला सौंपा गया है और पुलिस आरोपियों की पहचान कर जल्द गिरफ्तारी का दावा कर रही है।

सेव वक्फ़ इंडिया का तीखा पत्र — LDA मिलीभगत की जांच व बुलडोजर की माँग

इस गैहर घटनाक्रम के बाद सेव वक्फ़ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा ने मुख्यमंत्री को एक संवेदनशील पत्र भेजते हुए मामला गंभीरता से देखने की अपील की है। पत्र में सैयद रिज़वान ने कहा है कि स्थानीय विकास प्राधिकरण (LDA) और कुछ शहरी तंत्रों के बीच मिलीभगत के संकेत मिल रहे हैं, जिनकी पूर्ण जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।

उन्होंने पत्र में विशेष रूप से निम्न माँगें रखीं:

  • अब्बास बाग करबला में चल रहे सभी अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाकर साफ़-सफ़ाई करवायी जाए;
  • यदि संभव हो तो वक्फ़ की जमीनें पूर्ण पार्क या स्कूल के लिए आबंटित कर दी जाएँ ताकि धार्मिक स्थल के बदले समुदाय को स्थायी सार्वजनिक उपयोग मिले;
  • भूमाफियाओं व ‘वक्फखोरों’ के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई और पकड़ बढ़ायी जाए;
  • वक्फ़ संपत्तियों की रक्षा के लिए समुदाय और आंदोलनों को संरक्षित करने हेतु सरकारी स्तर पर सुरक्षा व समर्थन दिया जाए।

सैयद रिज़वान ने कहा है कि वक्फ़ की हिफ़ाज़त के लिए लोग जान, माल, इज़्ज़त और आबरू तक कुर्बान करने को तैयार हैं और अब यह सरकार व प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वह इन कुर्बानियों का सम्मान करे और जमीन पर कार्रवाई दिखाए। उन्होंने यह भी बताया कि आफ़ताब ए शरीयत सहित कई समुदायिक मुहिमें अब हर जगह वक्फ़ बचाने में सक्रिय होंगी।

मौलाना का लंबा संघर्ष — वक्फ़ के लिए उम्रभर की जद्दोजहद

मौलाना कल्बे जवाद नकवी का नाम वक्फ़ संपत्तियों की रक्षा और धार्मिक-समाजिक मामलों में एक दृढ़ आवाज़ के रूप में जाना जाता है। वर्षों से वे भूमाफिया व अवैध कब्ज़ों के विरुद्ध मोर्चेबंदी करते आए हैं—कभी धार्मिक नेतृत्व के रूप में, तो कभी कानूनी और जनहित अभियानों के ज़रिये। उनका संघर्ष केवल जमीन बचाने का नहीं रहा; वह एक संवैधानिक, नैतिक और ऐतिहासिक विरासत की रक्षा का संघर्ष रहा है। इसीलिए आज उन पर किया गया हमला केवल एक शख्सियत पर हमला नहीं माना जा रहा—बल्कि वक्फ़ की हिफाज़त के उस अभियान पर सीधा प्रहार है जिसका वे नेतृत्व करते आए हैं।

समुदायों में मौलाना की लड़ाई को लेकर गहरा सम्मान और विश्वास है: आपने जो मुक़दमों, जनसभाओं और जागरूकता अभियानों के ज़रिये वक्फ़ की रक्षा की राह दिखाई, वह आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। इस पृष्ठभूमि के कारण ही इस हमले ने व्यापक नाराजगी और विरोध को जन्म दिया है।

समुदाय की प्रतिक्रिया और सख्त कार्रवाई की माँग

हमले के बाद शिया समाज, समाजसेवी संस्थाएँ और नागरिक मंचों ने अपराधियों की तुरंत गिरफ्तारी, LDA व संबंधित विभागों के रवैये की स्वतंत्र जांच, तथा वक्फ़ संपत्तियों पर चल रहे अवैध कब्ज़ों को हटवाने की तेज़ व दृश्यमान कार्रवाई की माँग की है। कई संगठनों ने शांतिपूर्ण लेकिन निर्णायक आंदोलनों की चेतावनी भी दी है—यदि प्रशासन ने समय रहते कदम न उठाए तो उग्र आंदोलन हो सकते हैं।

सेव वक्फ़ इंडिया के नेतृत्व में हो रही यह किस्त — जो अब राजनीतिक, कानूनी और समुदायिक स्तर पर जमीनी कार्रवाई की माँग कर रही है — यह स्पष्ट संकेत देती है कि वक्फ़ पर हुए हमले को समुदाय बर्दाश्त नहीं करेगा।

नीति बनाम परचम — अब निर्णायक कार्यवाही का समय

मौलाना कल्बे जवाद पर हमला वक्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा का एक बड़ा चेतावनी-नुमा संकेत है। प्रशासन के सामने अब दो रास्ते हैं: या तो केवल कागज़ों पर कार्रवाई का ढोंग होता रहेगा, या फिर वास्तविक, तेज़ और निष्पक्ष कदम उठाकर वक्फ़ की हिफाज़त सुनिश्चित की जाएगी—जिसमें LDA जैसी संस्थाओं की जांच, अवैध निर्माणों की खुलकर मुखालिफत ,दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा शामिल हो।

सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा की माँगें और समुदाय की आवाज़ इस बात पर ज़ोर देती हैं कि वक्फ़ की रक्षा अब केवल एक धार्मिक-समुदायीय मुद्दा नहीं रह गया—यह संवैधानिक न्याय, ऐतिहासिक विरासत और सामाजिक शांति का मसला बन चुका है। प्रशासन यदि समय रहते ठोस कदम उठाता है तो यह घटना सुधार और सुरक्षा की मिसाल बन सकती है; अन्यथा यह संघर्ष और तेज़ हो कर प्रदेश के सार्वजनिक जीवन को हिलाने का कारक बन सकता है।

 

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *