पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने श्रीराम वन कुटीर आश्रम में इंसानियत के महाकुंभ को सराहा, नेत्र चिकित्सा शिविर
बाराबंकी जिले के हड़ियाकोल स्थित श्रीराम वन कुटीर आश्रम में चल रहे इंसानियत के महाकुंभ ने मानवता और समाजसेवा की मिसाल पेश की। इस पवित्र स्थान पर पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद सिंह गोप ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए आश्रम के सेवा कार्यों की सराहना की। उन्होंने स्वामी रामदास जी महाराज स्मृति चिकित्सालय (धर्मार्थ) में पहुंचकर डॉक्टरों और नर्सिंग टीम से मुलाकात की और इस सेवा अभियान के लिए उन्हें शुभकामनाएं दीं।
गोप जी ने स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और आपरेशन शिविर का शुभारंभ करने वाले स्वामी रामदास जी महाराज व स्वामी रामज्ञान दास जी महाराज की समाधि पर सिर झुकाकर आशीर्वाद लिया। इसके साथ ही उन्होंने आपरेशन थियेटर में जाकर एशिया के महान नेत्र सर्जन डॉ. जैकब प्रभाकर से मुलाकात की और उनके कार्यों को बधाई देते हुए हजारों लोगों को नेत्र ज्योति प्रदान करने के प्रयासों की प्रशंसा की।
पूर्व मंत्री ने मरीजों से बातचीत कर उनकी कुशलक्षेम पूछी और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने कहा, “डॉ. राम मनोहर लोहिया के समाजवाद का अगर असली दर्शन करना है, तो राम वन कुटीर जरूर आएं। यहां जाति और धर्म से ऊपर उठकर सभी को सेवा प्रदान की जा रही है, जो सच्चे समाजवाद का प्रतीक है।”
चिकित्सा शिविर में निशुल्क सेवाएं प्रदान कर रहे युवा
इस शिविर में समाजसेवा और शिक्षा का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज, अमेठी के छात्रों ने निशुल्क सेवाएं प्रदान कीं। ब्लड प्रेशर और शुगर जांच की जिम्मेदारी हिंद मेडिकल कॉलेज सफेदाबाद के नेतृत्व में निभाई गई।
आश्रम के सेवादार मनीष मेहरोत्रा ने बताया कि 21 जनवरी तक सभी ऑपरेशन पूरे कर लिए जाएंगे। डॉ. जैकब प्रभाकर की टीम नेत्र ज्योति प्रदान करने के इस अभियान में जुटी हुई है। इस अवसर पर पूर्व विधायक राम गोपाल रावत, विरेंद्र प्रधान, अंकित गुप्ता, संजय यादव, और अंजनी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
सच्ची मानव सेवा का प्रतीक
श्रीराम वन कुटीर आश्रम का यह नेत्र चिकित्सा शिविर हर साल हजारों लोगों को नई जिंदगी और रोशनी प्रदान करता है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवा का केंद्र है, बल्कि समाजवाद और मानवता के मूल्यों को बढ़ावा देने का पवित्र स्थान भी है।