हज़रत ईसा का शुभ जन्म दिवस: खजूर की फज़ीलत और समाज में बदलते रिवाज

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हज़रत ईसा का शुभ जन्म दिवस: खजूर की फज़ीलत और समाज में बदलते रिवाज

आज हज़रत ईसा मसीह का शुभ जन्म दिवस है, जो मानव इतिहास की एक अद्वितीय और चमत्कारी घटना के रूप में दुनिया में सजीव है। उनका जन्म, जो प्रेम, करुणा और मानवता का प्रतीक था, ने पूरी दुनिया को आपस में प्रेम करने और एक-दूसरे के साथ शांति से रहने की सीख दी। इस दिन को पूरी दुनिया में सम्मान और श्रद्धा से मनाया जाता है, विशेष रूप से ईसाई समुदाय के लोग इसे एक बड़े धार्मिक त्योहार के रूप में मनाते हैं।

हज़रत ईसा का जन्म: एक चमत्कारी घटना

हज़रत ईसा का जन्म बिना किसी प्राकृतिक कारण के हुआ था। उनका जन्म पवित्र क़ुरआन और बाइबल दोनों में एक चमत्कारी घटना के रूप में उल्लेखित है। हज़रत मरयम (अलैहिस्सलाम) ने ईश्वर की इच्छाशक्ति से बिना किसी पुरुष के संपर्क में आए ईसा मसीह को जन्म दिया। यह ईश्वर की असीम शक्ति का प्रतीक था। पवित्र क़ुरआन में हज़रत ईसा का 45 बार उल्लेख किया गया है और उन्हें “रूहुल्लाह” (ईश्वर की आत्मा) और “कलिमतुल्लाह” (ईश्वर का वचन) के रूप में याद किया गया है।

हज़रत ईसा और हज़रत मरयम की महानता

हज़रत मरयम (अलैहिस्सलाम) को दुनिया की सबसे पवित्र और ईश्वर से निकटतम महिलाओं में से माना जाता है। उनका जीवन पूरी तरह से ईश्वर के प्रति श्रद्धा, तपस्या और आत्मशुद्धि का उदाहरण था। हज़रत मरयम के द्वारा प्रस्तुत चरित्र और उनकी ईश्वरीय निष्ठा की वजह से ही हज़रत ईसा का जन्म हुआ, जो मानवता के लिए एक आशीर्वाद था।

खजूर की फज़ीलत: हज़रत ईसा के जन्म का प्रतीक

जब हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) का जन्म हुआ, तो उनका पहला आहार अल्लाह के आदेश से गिरने वाली ताज़ा खजूरें थीं। क़ुरआन में हज़रत मरयम को यह आदेश दिया गया था:

> “और खजूर के तने को अपनी ओर हिला, जिससे तुम्हारे पास ताज़ा खजूर गिरेंगे। और खाओ, पियो और अपनी आँखें ठंडी रखो।”
(सूरह मरयम: 25-26)

इस घटना से न केवल खजूर की अहमियत का पता चलता है, बल्कि यह भी दर्शाया जाता है कि खजूर एक अत्यंत पौष्टिक और लाभकारी फल है। खजूर में प्राकृतिक शर्करा, विटामिन, आयरन और पोटैशियम भरपूर मात्रा में होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा, खजूर गर्भवती महिलाओं के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है, क्योंकि यह प्रसव पीड़ा को कम करने में मदद करता है।

समाज में बदलते रिवाज: केक काटने का रिवाज

आजकल, 25 दिसंबर को “क्रिसमस” मनाते हुए कई लोग केक काटने की परंपरा का पालन करते हैं। यह एक पश्चिमी रिवाज है, जो धीरे-धीरे हमारे समाज में फैल गया है। जबकि खजूर का सेवन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एक श्रेष्ठ विकल्प है, आधुनिक समाज में केक का चलन बढ़ता जा रहा है।

केक में अत्यधिक शुगर और कृत्रिम तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं, जबकि खजूर प्राकृतिक रूप से पोषक तत्वों से भरपूर है। खजूर न केवल सेहत के लिए बेहतर है, बल्कि यह इस्लामी और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

खजूर और केक: एक तुलना

1. खजूर

प्राकृतिक शर्करा, फाइबर और विटामिन से भरपूर।

सेहत के लिए बेहद फायदेमंद।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक।

हर वर्ग के लिए सुलभ।

2. केक

कृत्रिम तत्वों और शुगर से भरा हुआ।

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक।

समाज में दिखावे का प्रतीक।

खजूर के महत्व को समझने की आवश्यकता

आज के समाज में, जहाँ फिजूलखर्ची और दिखावा बढ़ रहा है, हमें खजूर के महत्व को समझने की आवश्यकता है। खजूर का सेवन न केवल सेहत के लिए अच्छा है, बल्कि यह हमें हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है। अगर हम इसे अपनी जीवनशैली में शामिल करें, तो हम न केवल अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि एक नैतिक और धार्मिक रास्ते पर भी चल सकते हैं।

क्रिसमस का त्योहार और भाईचारे का संदेश

क्रिसमस का दिन केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, शांति और भाईचारे का प्रतीक है। हज़रत ईसा का जन्म हमें यह सिखाता है कि हम अपने भाई-बहनों के साथ प्यार और सहानुभूति से पेश आएं, और हर किसी की मदद करने के लिए अपने दिल में स्थान बनाएं। इस दिन को हम अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने और समाज को एक बेहतर स्थान बनाने के रूप में मना सकते हैं।

तहलका टुडे की ओर से बधाई

तहलका टुडे अपने पाठकों, दोस्तों और शुभचिंतकों को हज़रत ईसा मसीह के शुभ जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता है। आइए, हम इस दिन को खजूर के पोषण और आध्यात्मिक महत्व को समझते हुए, प्यार, शांति और सहयोग का संदेश फैलाने के रूप में मनाएं।

“हज़रत ईसा मसीह की शिक्षाओं को अपनाएं और इस दुनिया को प्रेम और शांति का स्थान बनाएं।”

 

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