तहलका टुडे टीम / रिपोर्ट:कामिल रिज़वी
बिजनौर की सरज़मीन पर आज तारीख़ की एक बुलंद आवाज़ गूंजी, जब बहुजन आंदोलन के क्रांतिकारी नेता, भीम आर्मी के संस्थापक और नगीना के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ ने नजीबाबाद के जोगीपुरा स्थित हज़रत मौला अली अलैहिस्सलाम की दरगाह—नजफ-ए-हिंद—पर जियारत की और सिर पर रुमाल बांधकर सलामी दी।
सालाना मजलिस में शिरकत के लिए देश-विदेश से आए लाखों ज़ायरीन के बीच जब क्रांतिकारी चन्द्रशेखर दरगाह की चौखट पर पहुंचे, तो माहौल में रूहानियत और इंकलाब एक साथ घुलते नज़र आए।
अमन, इंसाफ़ और मज़लूमों के हक़ की दुआ
दरगाह पर माथा टेकते हुए सांसद चंद्रशेखर ने एक ऐसी दुआ की, जिसमें सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया भर के मज़लूमों के लिए आवाज़ उठी। उन्होंने कहा:
“मैंने इस मुक़द्दस दरगाह पर अल्लाह से दुआ की है कि इस मुल्क़ और पूरी दुनिया में अमन क़ायम हो, हर ज़ुल्म और ज़ालिम का अंत हो, और हर मज़लूम को हक़ और इंसाफ़ मिले। साथ ही, मुझे इतनी ताक़त दे कि मैं हर मज़लूम के साथ खड़ा रह सकूं और हर ज़ालिम के ख़िलाफ़ लड़ सकूं।”
हज़रत अली की तालीम पर अमल को बताया सबसे बड़ा इनकलाब
सांसद ने कहा कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम इंसाफ़, बराबरी और हक़ की ज़िंदा मिसाल थे। उनकी ज़िंदगी का हर लम्हा मज़लूमों के हक़ में और ज़ालिमों के खिलाफ था।
“अगर हम उनकी तालीमात पर अमल करें, तो समाज से नफ़रत, भेदभाव और जुल्म मिट सकता है। उनका पैग़ाम आज के दौर में सबसे बड़ा इंकलाब है।”
इजरायली प्रोडक्ट को बताया मज़लूमों के खून से सना हुआ
नाश्ते की मेज पर आई इजराइल कम्पनी की कोल्ड ड्रिंक की बोतल देखकर सांसद का खून खौल उठा। उन्होंने बोतल को उठाया, खोला और ज़मीन पर बहा दिया।
“मैं इसे बहा रहा हूं ताकि कोई और इसे न पिये। ये सिर्फ कोल्ड ड्रिंक नहीं, बल्कि उन मासूम फिलिस्तीनी बच्चों का खून है जो इजरायल के ज़ुल्म का शिकार हो रहे हैं। मैं सभी से अपील करता हूं कि इजरायली कंपनियों का बहिष्कार करें। ये बहिष्कार हमारी ज़िम्मेदारी है।”
दरगाह के हालात पर प्रशासन की तंग करने वाली नीतियों पर जताई नाराज़गी, प्रशासन से सवाल
चंद्रशेखर ने दरगाह की व्यवस्थाओं और जायरीन की शिकायतों को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
“मैं इस मुद्दे पर ज़िला और राज्य प्रशासन से बात करूंगा। नजफ-ए-हिंद जैसी पवित्र जगह पर बेहतरी जरूरी है।”
हज़ारों का हुजूम, पैदल चलता कारवां
दरगाह की सड़कों पर एक अद्भुत दृश्य था—जहां सांसद चंद्रशेखर के पीछे पैदल चल रहे हज़ारों लोग, एक कारवां बनकर सच्चाई और इंसाफ़ का प्रतीक नज़र आ रहे थे। हर कोई उनके साथ एक तस्वीर, एक सलाम, एक मुलाकात चाहता था।
इस मौके पर दरगाह के प्रशासक गुलरेज़ हैदर रिज़वी, नजीबाबाद नगर पालिका चेयरमैन जनाब मोअज़्ज़म, सुहैल बाकर, कमेटी के सदस्य, क्षेत्रीय गणमान्यजन और बड़ी तादाद में भीम आर्मी के कार्यकर्ता मौजूद थे।
चंद्रशेखर आज़ाद की इस जियारत ने साफ़ कर दिया कि क्रांति और आस्था जब एक साथ चलें, तो नफ़रतें हारती हैं और इंसाफ़ की रौशनी फैलती है। यह सिर्फ एक जियारत नहीं, एक पैग़ाम था—जुल्म के खिलाफ, अमन के हक़ में, और हर मज़लूम के साथ।