संसद में वक्फ सुधार अधिनियम पेश होने से पहले उत्तर प्रदेश कैबिनेट में वक्फ की नई नीति को दी मंजूरी: पारदर्शिता, प्रबंधन और नियमों में बड़ा बदलाव, अतिक्रमण कारियो पर होगी सख्ती,अब लगेगा जुर्माना,डीएम एसपी भी होंगे जवाबदेह

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तहलका टुडे टीम/सैयद रिजवान मुस्तफा

लखनऊ:उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक नई नीति को मंजूरी दी है। यह कदम वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों, विवादों और प्रबंधन में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। कैबिनेट मीटिंग में इस नई नीति को मंजूरी देते हुए कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनका असर राज्य के दोनों वक्फ बोर्ड – शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड – पर पड़ेगा।

दोनों बोर्ड में समानता: अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया तय

सरकार ने दोनों वक्फ बोर्डों के अध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया स्पष्ट कर दी है। अब बोर्ड अध्यक्षों के चुनाव की विस्तृत प्रक्रिया तय होगी और परिणामों की घोषणा में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। इससे पहले, इन प्रक्रियाओं में अस्पष्टता के कारण विवाद और असंतोष पैदा होते थे।

मुतवल्ली बनने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष की गई

नई नियमावली के तहत मुतवल्ली बनने की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 25 वर्ष कर दिया गया है, जो पहले 18 वर्ष थी। यह निर्णय वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में जिम्मेदारी और परिपक्वता लाने के लिए लिया गया है। साथ ही, मुतवल्ली को हटाने की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है, जिससे प्रबंधन में जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे पर सख्ती

वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वालों और उन संपत्तियों का दुरुपयोग कर मुनाफा कमाने वालों पर सरकार ने शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। ऐसे मामलों में जुर्माने की प्रक्रिया तय कर दी गई है। अतिक्रमण हटाने के लिए वक्फ अधिनियम की धारा 54 के तहत नोटिस जारी करने, जांच करने और नुकसान का निर्धारण करने के नियम बनाए गए हैं।

मुख्य कार्यपालक अधिकारी की भूमिका स्पष्ट

वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अधिकार और कर्तव्यों को भी स्पष्ट कर दिया गया है। अब उनकी सेवा शर्तें, जिम्मेदारियां और कार्यों की सीमा तय होगी। इससे वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ने की उम्मीद है।

वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और बजट निर्धारण

वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण कर उनकी स्थिति और आय के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिए नियम बनाए गए हैं। आयुक्त की रिपोर्ट प्रस्तुत करने और औकाफ का बजट तय करने के लिए मानक प्रक्रिया लागू की गई है। इससे वक्फ संपत्तियों की आय का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।

वक्फ अधिकरण में भी बदलाव

वक्फ अधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति, कर्मचारियों की नियुक्ति और अन्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया गया है। अधिकरण में आवेदन दाखिल करने, सुनवाई की भाषा, कार्यवाही और आदेशों की प्रक्रिया भी अब स्पष्ट और निर्धारित होगी।

वार्षिक रिपोर्ट और सरकार को रिपोर्टिंग अनिवार्य

दोनों वक्फ बोर्डों को अब वार्षिक रिपोर्ट तैयार करना अनिवार्य होगा। ये रिपोर्ट सरकार को सौंपने के साथ-साथ विधानमंडल में भी प्रस्तुत की जाएंगी। इससे वक्फ प्रबंधन में जवाबदेही और पारदर्शिता आएगी।

अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

वक्फ प्रबंध समितियों के आदेश प्रकाशित किए जाएंगे।

मुतवल्ली द्वारा वार्षिक अंशदान के भुगतान के नियम तय किए गए हैं।

वक्फ निधि और प्रशासनिक जांच की प्रक्रियाओं को स्पष्ट किया गया है।

अंतरित संपत्ति की वसूली का प्रावधान किया गया है।

सरकार की पारदर्शिता बढ़ाने की पहल

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। राज्य में वक्फ संपत्तियों को लेकर आए दिन विवाद सामने आते रहते थे, जिन्हें इस नई नीति के जरिए कम करने की कोशिश की गई है।

नए नियमों से उम्मीदें

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति वक्फ संपत्तियों के संरक्षण, उनकी आय के सही उपयोग और विवादों के निपटारे में सहायक होगी। साथ ही, मुतवल्ली की न्यूनतम आयु बढ़ाने और अध्यक्षों के निर्वाचन प्रक्रिया तय करने जैसे प्रावधान वक्फ प्रबंधन में परिपक्वता और सुशासन सुनिश्चित करेंगे।

सरकार का यह कदम वक्फ प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के साथ-साथ वक्फ संपत्तियों के उचित संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

जिला स्तर पर डीएम और पुलिस के अधिकार – वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भूमिका

उत्तर प्रदेश की नई वक्फ नीति के तहत जिला स्तर पर जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। वक्फ संपत्तियों के अवैध कब्जे, विवादों और अतिक्रमण की स्थिति में जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों के पास कई विशेष अधिकार होंगे।

जिलाधिकारी (डीएम) के अधिकार और जिम्मेदारियां:

  1. अतिक्रमण हटाना:

जिलाधिकारी को वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे हटाने का अधिकार दिया गया है। वे वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं और संबंधित अधिकारियों को आदेश दे सकते हैं।

वक्फ संपत्ति पर कब्जा करने वालों से जुर्माना वसूलने की भी जिम्मेदारी डीएम की होगी।

  1. संपत्ति की सुरक्षा:

जिलाधिकारी वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं। यदि कोई वक्फ संपत्ति खतरे में हो, तो वे तुरंत कार्रवाई कर सकते हैं।

जिलाधिकारी वक्फ संपत्तियों की निगरानी और उनके संरक्षण के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे।

  1. सरकारी आदेशों का पालन:

जिलाधिकारी को वक्फ बोर्ड और राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों का पालन सुनिश्चित करना होगा। यह सुनिश्चित करना कि वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन और उपयोग हो रहा है, उनकी जिम्मेदारी होगी।

जिलाधिकारी वक्फ संपत्तियों के मामले में जांच और कार्यवाही को सही दिशा में लेकर जाएंगे।

  1. विवाद निस्तारण:

जिलाधिकारी के पास वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों के निस्तारण के लिए विशेष अधिकार होंगे। अगर किसी संपत्ति पर विवाद होता है तो जिलाधिकारी उसे सुलझाने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बैठक कर सकते हैं।

  1. संपत्तियों की रिपोर्टिंग:

जिलाधिकारी को वक्फ बोर्ड को नियमित रूप से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

पुलिस के अधिकार और जिम्मेदारियां:

  1. अतिक्रमणियों के खिलाफ कार्रवाई:

पुलिस को वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। पुलिस इन मामलों में एफआईआर दर्ज कर सकती है और न्यायालय में मामला दाखिल कर सकती है।

  1. सुरक्षा और संरक्षण:

पुलिस वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई कर सकती है। अगर कोई संपत्ति खतरे में हो या उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो रही हो, तो पुलिस तत्काल हस्तक्षेप कर सकती है।

पुलिस को यह अधिकार है कि वे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अस्थायी सुरक्षा बल या तैनाती कर सकती हैं।

  1. अवैध गतिविधियों पर निगरानी:

पुलिस को वक्फ संपत्तियों से जुड़े किसी भी अवैध गतिविधि की निगरानी और नियंत्रण करने का अधिकार होगा। इसमें वक्फ संपत्तियों पर होने वाली अवैध रूप से संपत्ति का व्यापार, किराए पर देना, या अन्य किसी प्रकार का दुरुपयोग शामिल हो सकता है।

  1. न्यायिक कार्यवाही में सहयोग:

पुलिस वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों में न्यायिक कार्यवाही में सहयोग कर सकती है। इसमें जांच, गवाहों की पहचान, और जरूरी दस्तावेजों की सुरक्षा जैसी कार्यवाहियां शामिल हैं।

  1. गोपनीयता बनाए रखना:

पुलिस को वक्फ संपत्तियों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी की गोपनीयता बनाए रखने का भी जिम्मा सौंपा गया है। किसी भी गलत उद्देश्य के लिए इन सूचनाओं का दुरुपयोग न हो, यह सुनिश्चित करना पुलिस का कर्तव्य होगा।

संपत्ति संबंधी विवादों के मामलों में डीएम और पुलिस का समन्वय:

वक्फ संपत्तियों के मामलों में डीएम और पुलिस का समन्वय बेहद महत्वपूर्ण होगा। जिलाधिकारी प्रशासनिक आदेशों का पालन करेंगे, जबकि पुलिस इस आदेश को लागू करने के लिए आवश्यक सुरक्षा और कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। दोनों के बीच सहयोग से वक्फ संपत्तियों पर होने वाले अतिक्रमण और अन्य दुरुपयोग की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकेगा।

जिलाधिकारी और पुलिस को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण अधिकार और जिम्मेदारियां दी गई हैं, ताकि इन संपत्तियों का सही तरीके से संरक्षण, प्रबंधन और विवादों का समाधान सुनिश्चित हो सके। यह सुनिश्चित करेगा कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और उनका उचित लाभ समाज को मिल सके।

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